सोशल: 'देशभक्ति का मतलब स्नैपचैट को हटाना?'

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मोबाइल ऐप 'स्नैपचैट' के सीईओ इवान स्पीग्ल के कथित तौर पर भारत को ग़रीब कहने पर भारतीय सोशल मीडिया यूज़र्स ने रविवार को ख़ूब गुस्सा ज़ाहिर किया.
इसकी बदौलत #boycottsnapchat भी दिन में कई घंटे ट्विटर पर टॉप ट्रेंड बना रहा.
वजह थी अमरीकी वैरायटी मैग्ज़ीन की साइट पर छपी एक ख़बर, जिसमें एक अपुष्ट बयान के हवाले से लिखा गया था कि 'स्नैपचैट' के सीईओ इवान स्पीग्ल ने कहा है कि उनका ऐप सिर्फ़ अमीरों के लिए है और भारत और स्पेन जैसे ग़रीब देशों में वो अपने ऐप का विस्तार नहीं करना चाहते.
सोशल मीडिया पर इसे लेकर कुछ लोगों ने गुस्सा ज़ाहिर किया तो कुछ लोगों ने भारत में गरीबी की असली समस्या की ओर ध्यान देने की सलाह दी.
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@avinash_dhiraj हैंडल से ट्वीट किया गया , ''डियर इवान स्पीग्ल, भारतीय नहीं बल्कि आपकी मानसिकता ग़रीब है. बाय स्नैपचैट.''
कुछ लोग ऐप कंपनी को सबक सिखाने की बात भी कर रहे थे. @vaibhavcool203 हैंडल से वैभव मिश्रा ने लिखा , ''भारतीयों को ग़रीब कहने वाले इवान को सबक सिखाना ज़रूरी है. ऐप को फ़ोन से हटा दें. ऐप को ख़राब रेटिंग दें और अन्य लोगों तक भी यह संदेश पहुंचाएं.''
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@vlvareloaded हैंडल ने नासा की एक फ़ोटो शेयर करते हुए माहौल को थोड़ा मज़ाकिया बनाने की कोशिश की. उन्होंने लिखा, "नासा ने यह फ़ोटो जारी की है. यह फ़ोटो उन लोगों की है, जो अपने फ़ोन से स्नैपचैट डिलीट कर रहे हैं."
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@ra_viper हैंडल से रवि ने लिखा, "बीते 24 घंटे में 15 लाख से ज्यादा लोगों ने स्नैपचैट को रिव्यू में 1 स्टार दिया. यह है गरीब लोगों की ताकत."
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इस बीच कुछ ट्विटर यूज़र्स ने ऐसी ख़बरें शेयर कीं, जिनमें दावा किया गया कि कंपनी के सीईओ इवान स्पीग्ल ने कभी ऐसा कोई बयान नहीं दिया बल्कि ये उनके साथ काम कर चुके सहयोगी एंथनी पोंपलियानो की दलील है. एंथनी ने जनवरी में अमरीकी कोर्ट में 'स्नैपचैट' कंपनी पर मुक़दमा किया था, जिसकी सुनवाई जारी है.
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@RageMonk हैंडल से ट्वीट किया गया कि 1947 में देशभक्ति के मायने थे देश के लिए जान देना और 2017 में देशभक्ति का मतलब है फ़ोन से 'स्नैपचैट' हटा देना. वो भी कथित तौहीन के जवाब में.
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@apradhan1968 हैंडल से प्रोफ़ेसर आनंद प्रधान ने ट्वीट किया, "स्नैपचैट की घटना एक सटीक उदाहरण है इस बात का कि कैसे कथित देशप्रेमी अमीर और मध्यम वर्गीय लोग देश की असलियत को पहचानने से मुंह फेर रहे हैं. कंपनी का सीईओ क्या सोचता है, इससे हमें फ़र्क क्यों पड़ता है. हमें पता होना चाहिए कि ग़रीबी और गैरबराबरी भारत की सबसे बड़ी समस्या है."
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