हज के दौरान महिलाओं के साथ हुआ यौन शोषण
- फारॉनैक अमिदी
- वुमन अफ़ेयर्स जर्नलिस्ट, बीबीसी वर्ल्ड सर्विस

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यौन शोषण के विरुद्ध हाल ही में शुरू हुए एक अभियान #MeToo ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा था.
अब ऐसा ही एक अभियान फिर शुरू हुआ है जिसमें हज और अन्य धार्मिक स्थानों पर जाने वाली महिलाएं अपनी आपबीती बता रही हैं.
सोशल मीडिया पर यह अभियान #MosqueMeToo नाम से चल रहा है और महिलाएं यौन शोषण से जुड़े अपने अनुभवों को ज़ाहिर कर रही हैं.
लेखिका और पत्रकार मॉना ट्हावी ने इसकी शुरुआत की थी.
उन्होंने साल 2013 में हज के दौरान उनके साथ हुई यौन शोषण की घटना #MosqueMeToo के साथ ट्विटर पर शेयर की थी.
बाद में मॉना ने अपने एक ट्वीट में लिखा, "एक मुस्लिम महिला ने मेरी घटना पढ़ने के बाद उनकी मां के साथ हुआ यौन शोषण का अनुभव मुझे बताया. उन्होंने मुझे कविता भी भेजी. उन्हें जवाब देते वक्त मैं खुद को रोने से रोक नहीं पाई."
इसके बाद दुनिया भर से मुस्लिम पुरुष और महिलाएं इस हैशटैग का इस्तेमाल करने लगे और 24 घंटे के अंदर यह 2000 बार ट्वीट हो गया.
यह फारसी ट्विटर पर टॉप 10 ट्रेंड में आ गया.
ट्विटर पर अपना अनुभव शेयर करने वाली महिलाओं ने बताया कि उन्हें भीड़ में ग़लत तरीके से छुआ गया और पकड़ने की कोशिश की गई.
एक यूजर एंग्गी लेगोरियो ने ट्विट किया, "मैंने #MosqueMeToo के बारे में पढ़ा. इसने हज 2010 के दौरान की भयानक यादें फिर से मेरे ज़हन में आ गईं. लोग सोचते हैं कि मक्का मुस्लिमों के लिए एक पवित्र जगह इसलिए वहां कोई कुछ ग़लत नहीं करेगा. यह पूरी तरह ग़लत है."
एक अनुमान के मुताबिक करीब 20 लाख मुसलमान हर साल हज के लिए जाते हैं. इससे पवित्र माने जाने वाले मक्का शहर में लोगों की भारी भीड़ इकट्ठी हो जाती है.
#MosqueMeToo के समर्थकों का कहना है कि ऐसी पवित्र जगहों पर भी जहां महिलाएं पूरी तरह ढकी होती हैं, उनके साथ दुर्व्यवहार हो सकता है.
कई ईरानी और फारसी बोलने वाले ट्विटर यूजर्स ने न सिर्फ अपने साथ हुए यौन शोषण के अनुभव बताए बल्कि इस मान्यता को भी चुनौती दी कि हिजाब महिलाओं को यौन शोषण और दुर्व्यवहार से बचाता है.
एक यूजर 'NargessKa' ने लिखा, "तवाफ़ के दौरान मेरे पिता मेरी मां को सुरक्षा देने के लिए उनके पीछे चलने लगते थे. पुरुषों को हैरान दिखने की ज़रूरत नहीं है!"
यूजर 'हनन' ने ट्विट किया, "मेरी बहनों ने इस माहौल में यौन शोषण झेला है जो वो अपने लिए सुरक्षित मानती थीं. भयानक लोग पवित्र स्थानों पर भी होते हैं. एक मुस्लिम के तौर पर हमें अन्याय झेल रही अपनी बहनों का साथ देना चाहिए."
हिजाब कोई पाबंदी नहीं...
ईरान में हिजाब पहनना अनिवार्य है.
यहां कई जगहों पर बिना हिजाब वाली महिलाओं की बिना रैपर की कैंडी और लॉलीपॉप से तुलना करते पोस्टर लगे हैं जिसमें मक्खियां ऐसी कैंडी और लॉलीपॉप की तरफ ललचा रही हैं.
ईरान के सभी कार्यालयों और सार्वजनिक इमारतों की दीवारों पर एक स्लोगन लिखा होता है, "हिजाब कोई पाबंदी नहीं बल्कि आपकी सुरक्षा है."
हाल के हफ़्तों में ईरान में हिजाब के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शन में 29 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था.
केंद्रीय तेहरान में एक लड़की के अपना हिजाब उतारने के बाद हिजाब के ख़िलाफ़ इस अभियान की शुरुआत हुई थी.
हालांकि, सभी #MosqueMeToo का समर्थन नहीं कर रहे हैं और कुछ लोग इस मुद्दे को सोशल मीडिया पर उठाने के लिए मॉना ट्हावी की आलोचना कर रहे हैं.
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