आंदोलनजीवी: पीएम नरेंद्र मोदी की टिप्पणी पर गरमाई सियासत

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सोमवार को राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक नए शब्द "आंदोलनजीवी" का ज़िक्र किया.
राज्यसभा में मोदी ने कहा, "हम लोग कुछ शब्दों से बड़े परिचित हैं, श्रमजीवी, बुद्धिजीवी- ये सारे शब्दों से परिचित हैं. लेकिन, मैं देख रहा हूँ कि पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है, एक नई बिरादरी सामने आई है और वो है आंदोलनजीवी."
माना जा रहा है कि पीएम मोदी का इशारा किसान आंदोलन से जुड़े लोगों पर था.
उन्होंने आगे कहा, "ये जमात आप देखेंगे, वकीलों का आंदोलन है, वहाँ नज़र आएँगे, स्टूडेंट्स का आंदोलन है, वो वहाँ नज़र आएँगे, मज़दूरों का आंदोलन है, वो वहाँ नज़र आएँगे. कभी पर्दे के पीछे, कभी पर्दे के आगे. ये पूरी टोली है जो आंदोलनजीवी है, ये आंदोलन के बिना जी नहीं सकते हैं. और आंदोलन से जीने के लिए रास्ते ढूँढते रहते हैं."
प्रधानमंत्री ने ऐसे लोगों पर दूसरों के चलाए जा रहे आंदोलनों को हाइजैक करने का आरोप लगाया. उन्होंने आरोप लगाया कि ये लोग अपने बूते आंदोलन खड़े नहीं कर सकते, बल्कि दूसरों के आंदोलनों में शामिल हो जाते हैं और उसे हथिया लेते हैं.
उन्होंने कहा, "हमें ऐसे लोगों को पहचानना होगा, जो सब जगह पहुँचते हैं और आइडियोलॉजिकल स्टैंड दे देते हैं, गुमराह कर देते हैं नए-नए तरीक़े बता देते हैं. देश आंदोलनजीवी लोगों से बचे. इसके लिए हम सबको...ये उनकी ताक़त है, उनका क्या है, ख़ुद खड़ी नहीं कर सकते चीज़ें, किसी की चल रही है उसमें जाकर बैठ जाते हैं,,,,ऐसे लोगों को पहचानने की आवश्यकता है..ये सब आंदोलनजीवी हैं."
'परजीवी'
उन्होंने आगे कहा कि राज्यों में सरकार चलाने वाले दूसरी पार्टियाँ भी इसे महसूस करती होंगी. मोदी ने कहा, "यहाँ पर सब लोगों को मेरी बात से आनंद इसलिए होगा क्योंकि आप जहाँ-जहाँ सरकार चलाते होंगे, वहाँ आपको भी ऐसे आंदोलनजीवी, परजीवियों का अनुभव होता होगा."
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उन्होंने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भी एक नए शब्द का ज़िक्र अपने भाषण में किया. मोदी ने कहा, "देश प्रगति कर रहा है, हम एफ़डीआई की बात कर रहे हैं. लेकिन, इन दिनों एक नया एफ़डीआई नज़र आया है, इससे बचना होगा. ये नया एफ़डीआई है- फ़ॉरेन डिस्ट्रक्टिव आइडियोलॉजी, इससे बचने के लिए हमें और जागरूक रहने की ज़रूरत है."
हालाँकि, पीएम मोदी के "आंदोलनजीवी" वाले बयान पर विरोधी दलों के नेताओं और कई आंदोलनों से जुड़े कार्यकर्ताओं की कड़ी प्रतिक्रिया आई है. सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर सरगर्मी पैदा हो गई है और तमाम लोग इस पर अपनी टिप्पणियाँ दे रहे हैं.
स्वराज इंडिया पार्टी के अध्यक्ष और किसानों के आंदोलन से जुड़े हुए योगेंद्र यादव ने इस पर तल्ख टिप्पणी की है.
उन्होंने ट्विटर पर लिखा है, "हाँ, मैं "आंदोलनजीवी" हूँ मोदी जी!" उन्होंने एक वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है जिसमें उन्होंने कहा है, "जो दूसरे की बीमारी पर पलता है उसे परजीवी कहते हैं."
प्रतिक्रियाएँ
उन्होंने आगे कहा, "वैसे आपको याद दिला दूँ कुछ दिन पहले आप ही ट्वीट करते थे कि इस देश को जन आंदोलन की ज़रूरत है."
प्रशांत भूषण ने पूछा है, "मोदी की आंदोलनजीवी टिप्पणी के दोहरेपन और अपनी आरामदायक ज़िंदगी छोड़कर किसानों के हक़ के लिए प्रदर्शन कर रहे मज़दूरों, अल्पसंख्यकों, ग़रीबों और कमज़ोर लोगों को बदनाम करने की कोशिशों से इतर आप उसे क्या कहेंगे जो विपक्ष की कमज़ोरी पर ज़िंदा रहता है? परजीवी?"
उन्होंने इसके साथ एक तस्वीर भी साझा की है जिसमें मोदी के जन आंदोलन के समर्थन में दिए गए पिछले ट्वीट्स के स्क्रीनशॉट्स लगे हैं.
शिवसेना की नेता और राज्यसभा सदस्य प्रियंका चतुर्वेदी ने लिखा है, "देश को अंग्रेज़ों से स्वतंत्रता भी एक आंदोलन से ही मिली थी. गर्व है उन सभी 'आंदोलनजीवी' स्वतंत्रता सेनानियों का जो देश के लिए समर्पित रहे."
कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया है, "मोदी जी, आपकी विचारधारा चाहे जो भी हो कम से कम अपने पद की मर्यादा का ही ख्याल रख लेते, ऐसी बातों से देश के सम्मान पर चोट पहुँचती है."
दूसरी ओर, 41 किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा ने भी प्रधानमंत्री के इस बयान की आलोचना की है और कहा है कि वे "इस अपमान की निंदा करते हैं."
सीपीआई नेता सीताराम येचुरी ने अपने ट्वीट में लिखा है, "आंदोलनजीवी? लोग अपनी ज़िंदगियाँ बचाने और सुरक्षा के लिए, ज़्यादा अवसरों और बेहतर आजीविका के लिए विरोध-प्रदर्शन करते हैं. आंदोलनकारी देशभक्त हैं, परजीवी नहीं. जो लोग प्रदर्शनों की ताक़त से सत्ता हथिया लेते हैं, वे परजीवी होते हैं."
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है, "आंदोलनों से स्वतंत्रता पाने वाले देश में आंदोलनरत किसानों-नागरिकों को 'आंदोलनजीवी' जैसे आपत्तिजनक शब्द से संबोधित करना हमारे देश के क्रांतिकारियों एवं शहीदों का अपमान है. आज़ादी के आंदोलन में दोलन करने वाले आंदोलन का अर्थ क्या जाने. भाजपा शहीद स्मारक पर जाकर माफ़ी माँगे!"
सीपीआई(एम-एल) के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने भी इस संबंध में ट्वीट किया है
पीएम की टिप्पणी पर कई लोगों ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स में नाम के आगे 'आंदोलनजीवी' जोड़ लिया है.
एक यूजर ने भगत सिंह की जेल की तस्वीर लगाई है और लिखा है, "मेरा पसंदीदा आंदोलनजीवी."
कांग्रेस के सोशल मीडिया विभाग के राष्ट्रीय संयोजक सरल पटेल ने लिखा है, "आप आंदोलनजीवी हैं या सावरकरजीवी?"
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