अलाव से इस्त्री तक, पिच सुखाने के देसी जुगाड़
- भरत शर्मा
- बीबीसी संवाददाता, दिल्ली

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वरदा तूफ़ान से उबरकर भारत-इंग्लैंड टेस्ट मैच की मेज़बानी की तैयारी में जुटा चेन्नई अपनी तरफ़ से कोई कसर नहीं छोड़ रहा.
चेपॉक मैदान की पिच सुखाने की तस्वीर शायद आपने भी देखी होगी, जिसमें देसी जुगाड़ नज़र आ रहा है. इसमें गर्म कोयले के अलाव से पिच की नमी दूर करने की कोशिश हो रही है. मशीनों के दौर में ये तरीका कुछ पुरातन लगे, लेकिन असरदार है.
इसके लिए कई तरीक़े इस्तेमाल किए जाते हैं, जिनमें आधुनिक मशीन से लेकर पिच पर अलाव रखना और उसके क़रीब आग लगाना शामिल है:
गर्म कोयले से तापी जाती पिच
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पिच ज़्यादा गीली हो या उस पर नमी हो, कोयले का अलाव ख़ासा काम आता है.
भारतीय उपमहाद्वीप में ये तरीका काफ़ी इस्तेमाल होता है. इसमें तसले में गर्म कोयले डालकर पिच पर रखे जाते हैं या फिर उन्हें जालीनुमा होल्डर में रखकर पिच पर सेट कर दिया जाता है. पिच का ख़ास हिस्सा सूखने के बाद अलाव को दूसरे हिस्सों पर रखा जाता है.
आग लगाओ, पिच सुखाओ
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सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन पिच को सुखाने के लिए उसके गीले हिस्सों या पिच के आसपास आग लगाने का तरीक़ा भी इस्तेमाल होता है. भारत के अलावा वेस्टइंडीज़ में आग से पिच सुखाने का जुगाड़ कई बार किया जा चुका है. ज़रूरत के मुताबिक़ पिच सूख जाने पर आग बुझा दी जाती है, ताकि वो ज़्यादा कठोर ना हो.
कपड़े वाली इस्त्री का जलवा
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ये जानकर आप हैरान रह जाएंगे कि कपड़े प्रेस करने वाली आपकी इस्त्री क्रिकेट पिच सुखाने के भी काम आ सकती है. तूफ़ान से जूझ रहे चेन्नई में बारिश अक्सर ख़लल डालती रही है, ऐसे में साल 2005 में इसी मैदान की पिच इस्त्री या प्रेस से सुखाई गई थी. ये तरीक़ अब भले कम दिखे, लेकिन किसी वक़्त काफ़ी चलता था.
हेलीकॉप्टर बना मददगार
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जब किसी मैच से पहले भारी बारिश हो और मैदान-पिच को काफ़ी नुकसान पहुंचे, तो उसे सुखाने के लिए हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल होता है. उड़नखटोले के विशाल पंख काफ़ी कम वक़्त में पिच को खेलने लायक बना सकते हैं. हालांकि, मैच शुरू होने वाला हो और पिच पर काफ़ी पानी हो, तो हेलीकॉप्टर हार मान सकता है.
हवा-हवाई एयर ब्लोअर
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पिच का पानी या नमी सुखाने के लिए तेज़ हवा काफ़ी काम आ सकती है और ऐसी सूरत में एयर ब्लोअर काफ़ी फ़ायदेमंद साबित होते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप या ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड, ये तरीका काफ़ी आम है. इसमें ग्राउंडमैन मशीन को अपनी पीठ पर लादकर पिच के अलग-अलग हिस्से सुखाने की कोशिश करता है.
बालू का बोलबाला
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मैदान कहीं का हो, बारिश हर जगह पहुंच जाती है. ऐसे में मैदान में हर वक़्त बालू तैयार रखी जाती है. ये बालू मिट्टी कई बार पिच सुखाने के लिहाज़ से काफ़ी कारगर साबित होती है.
इसके अलावा मैच शुरू होने के बाद जब पिच पर पैर फ़िसलता है, तो यही बालू फिर काम आती है.