करुण नायर को कभी गुस्सा नहीं आता है
- इमरान क़ुरैशी
- बेंगलूरु से बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए

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एक नौ साल का बच्चा मैदान में प्रेक्टिस के लिए 20 मिनट देर से पहुंचा.
उसके कोच ने सज़ा के तौर पर उससे मैदान के चक्कर लगाने को कहा.
ऐसा कहकर कोच दूसरे बच्चों के साथ प्रेक्टिस में व्यस्त हो गया और वो बच्चा तीन घंटे तक दौड़ता रहा.
ये बात सितंबर 2001 की बात है. वो बच्चा जिसे सुबह 6.20 पर नेट प्रेक्टिस के लिए बुलाया गया था वो करुण नायर थे जिन्हें अंडर-13 ज़ोनल टूर्नामेंट के लिए प्रैक्टिस करनी थी.
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उनके कोच शिवानंद ने बीबीसी को बताया, "उस दिन मैंने महसूस किया कि मेरे हाथ में एक बहुत बड़ा स्टार है. ये घटना बताती है कि वो बहुत विनम्र है. मैंने उससे कहा कि तुमने नेट पर आकर बताया क्यों नहीं तो वो बोला कि मुझे लगा ये मेरी सज़ा का हिस्सा है."
करुण उस वक़्त चौथी कक्षा में थे. तब से लेकर अब तक वो रोज़ाना सुबह दो घंटे और शाम को तीन घंटे प्रैक्टिस करते रहे हैं.
शिवानंद कहते हैं, "उसकी फ़िटनेस उसका मज़बूत पक्ष है. वो बहुत संतुलित है. कभी बहकता नहीं. उसे कभी ग़ुस्सा नहीं आता. उसकी ये पारी देखकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि उसका टेम्परामेंट बड़ा ज़बरदस्त है. उन्होंने अपने तिहरे शतक का पहला सैकड़ा किसी टेस्ट प्लेयर की तरह बनाया. अगले शतक के लिए वो वनडे खिलाड़ी की तरह खेले और आख़िरी शतक तो उन्होंने टी-20 के अंदाज़ में बनाया."
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क्रिकेट कमेंटेटर शारदा उग्रा कहती हैं, "वो किसी अनुभवी खिलाड़ी की तरह खेले. पहले दो टेस्ट मैचों में सस्ते में आउट होने के बाद जिस तरीके से तीसरे टेस्ट में उन्होंने तिहरा शतक बनाया वो दिखाता है कि वो क्या हैं. माना कि ये बैटिंग पिच थी. इंग्लैंड की टीम थकी हुई थी. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने परिस्थितियों को बेहतरीन तरीके से इस्तेमाल किया. उन्होंने दिखाया कि वो मध्य क्रम के बेहतरीन बल्लेबाज़ साबित हो सकते हैं."
बेंगलूरु के दो बल्लेबाज़ों ने इस टेस्ट में अपना हुनर दिखाया. करुण नायर और के एल राहुल.
तो क्या ये दोनों, लक्ष्मण और द्रविड़ के पदचिन्हों पर चल रहे हैं.
शारदा कहती हैं, "अभी ये बहुत युवा खिलाड़ी हैं उन्हें 10 साल और खेलना होगा. हालांकि ये बच्चे तीनों फॉर्मेट खेलते हैं. लेकिन देखना होगा कि ये विदेशी पिचों में कैसा खेलते हैं. लक्ष्मण और द्रविड़ से तुलना करना अभी जल्दबाज़ी होगी."
शिवानंद कहते हैं, "करुण, राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर को फॉलो करते हैं. वो तकनीक रूप से बहुत मज़बूत हैं. उनकी फ़िटनेस ऐसी है कि वो किसी भी परिस्थिति के हिसाब से सामंजस्य बिठा लेते हैं. जैसी पारी उन्होंने आज खेली वैसा सिर्फ़ वीरेंद्र सहवाग कर सकते हैं."
"उनमें रनों की भूख है. और अपने करियर में वो एक या दो तिहरे शतक और लगाने का माद्दा रखते हैं." शिवानंद ये कहते हुए अपनी बात ख़त्म करते हैं.
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