वो सात पाकिस्तानी क्रिकेटर जो मुस्लिम नहीं थे
एक महेंद्र सिंह (धोनी) टीम इंडिया की तस्वीर बदल गया और अब पाकिस्तान में एक महिंदर (पाल) सिंह इतिहास रचने से एक क़दम दूर खड़ा है.
दायें हाथ के तेज़ गेंदबाज़ महिंदर पाल सिंह पाकिस्तानी क्रिकेट टीम की नुमांइदगी कर सकते हैं.
पाकिस्तानी क्रिकेटर महिंदर सिंह वहां के टॉप 30 में शामिल
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पाकिस्तान में इससे पहले कुछ ईसाई और हिंदू खिलाड़ी नेशनल टीम का हिस्सा बने हैं, लेकिन ये पहली बार है कि कोई पाकिस्तानी सिख नेशनल क्रिकेट अकेडमी तक पहुंचने में कामयाब रहा है.
अब वो वहां के शीर्ष 30 क्रिकेटरों में शुमार हैं.
64 साल और 405 टेस्ट मैच के इतिहास वाले पाकिस्तान में अब तक सिर्फ़ सात ग़ैर-मुस्लिम टीम का हिस्सा बने हैं.
ऐसे में महिंदर के पास वाक़ई नई कहानी लिखने का मौक़ा है. उनसे पहले पाकिस्तानी टीम में जगह बनाने वाले सात गैर-मुस्लिमों का ब्योरा-
1. यूसुफ़ योहन्ना (मोहम्मद यूसुफ़):
पाकिस्तानी क्रिकेट इतिहास के सबसे कामयाब बल्लेबाज़ों में शुमार यूसुफ़ के नाम 90 टेस्ट में 7530 रन और 288 वनडे में 9720 रन दर्ज हैं. ईसाई यूसुफ़ योहन्ना साल 2005 में इस्लाम क़ुबूल कर मुस्लिम बन गए थे और उनका नाम तब मोहम्मद यूसुफ़ हो गया. टेस्ट और वनडे मिला लें, तो यूसुफ़ ने कुल 39 शतक और 97 अर्द्धशतक लगाए हैं.
2. दानिश कनेरिया: वो ना केवल पाकिस्तान की तरफ़ से खेलने वाले दूसरे हिंदू खिलाड़ी के तौर पर मशहूर हैं, बल्कि अपने देश के सबसे ज़्यादा टेस्ट विकेट (261) लेने वाले फिरकी गेंदबाज़ भी हैं. सक़लैन मुश्ताक़ और मुश्ताक़ अहमद, उनसे बड़े नाम माने जाते हैं, लेकिन टेस्ट विकेट लेने के मामले में 61 मैच खेलने वाले कनेरिया से पीछे हैं. सक़लैन ने 49 टेस्ट में 208 विकेट चटकाए, जबकि मुश्ताक़ ने 52 मैचों में 185 विकेट लिए.
3. सोहेल फ़ज़ल: ईसाई सोहेल पाकिस्तान के लिए खेले, लेकिन बेहद कम समय के लिए. उन्हें महज़ दो वनडे मैच खेलने का मौक़ा मिला, लेकिन इनमें से एक मैच आज भी याद किया जाता है. 1989-90 की चैम्पियंस ट्रॉफ़ी के एक मुक़ाबले में उन्होंने तीन गगनचुंबी छक्के लगाकर टीम का स्कोर 250 के पार पहुंचाया था. ये मैच पाकिस्तान ने 38 रनों से जीता. इस मैच में उन्हें बैटिंग के लिए जावेद मियांदाद से पहले भेजा गया था, लेकिन फ़ैसला सही साबित हुआ.
4. अनिल दलपत सोनवारिया: पाकिस्तानी टीम का हिस्सा बनने वाले पहले हिंदू खिलाड़ी. जब वसीम बारी हटे, तो उन्हें मौक़ा दिया गया और अब्दुल क़ादिर जैसे दिग्गज के सामने उन्होंने विकेटकीपिंग में बढ़िया हाथ दिखाया. उनके पिता दलपत सोनवारिया 'पाकिस्तानी हिंदूज़' नामक क्रिकेट क्लब के मालिक थे. हालांकि, वो नौ टेस्ट और 15 वनडे खेले, लेकिन दोनों में उनका बल्ला फीका साबित हुआ. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके ढाई हज़ार से ज़्यादा रन हैं.
5. एंटाओ डिसूज़ा: वो भारत के गोवा में पैदा हुए, लेकिन पाकिस्तान और कराची की तरफ़ से क्रिकेट खेले. डिसूज़ा के पिता 1947 के बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाकर बस गए थे. पाकिस्तान के लिए उन्होंने छह टेस्ट खेले, जिसमें 17 विकेट चटकाए. 1962 का इंग्लैंड दौरा उनके लिए यादगार रहा, जहां वो छह में से पांच पारियों में नाबाद रहे और 53 की औसत पर पहुंच गए.
6. डंकन शार्प: एंग्लो-पाकिस्तानी डंकन अल्बर्ट शार्प ने पाकिस्तान के लिए सिर्फ़ तीन टेस्ट मैच खेले और उनमें 22.33 की औसत से 134 रन बनाए. इससे बेहतर उनका प्रथम श्रेणी का करियर रहा. उन्होंने 37 मैचों में 1531 रन बनाए. डंकन के नाम प्रथम श्रेणी में दो शतक और सात अर्द्धशतक हैं.
7. वालिस मैथियस: वो पाकिस्तान की तरफ़ से क्रिकेट के मैदान में उतरने वाले पहले गैर-मुस्लिम खिलाड़ी थे. 21 टेस्ट खेले, जिनमें क़रीब 24 की औसत से 783 रन बनाए. बल्लेबाज़ी में भले वो कुछ ख़ास ना कर सकें हों, लेकिन उनकी गिनती बेहतरीन फ़ील्डरों में होती थी. टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने 22 कैच लपके, जो उस समय बड़ी बात थी.
अब महिंदर पाल सिंह पाकिस्तानी क्रिकेट में ग़ैर-मुस्लिम खिलाड़ियों की इस ख़ास सूची में जगह बनाने से एक क़दम दूर खड़े हैं.
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