'खेल संघों के नेता ही कर्ताधर्ता, खिलाड़ी सिर्फ़ 1'

भ्रष्टाचार के आरोपों पर जेल की हवा खा चुके सुरेश कलमाडी और अभय चौटाला को इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (IOA) का आजीवन अध्यक्ष बनाए जाने पर बवाल हो गया है.
केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने इस पर कहा, ''हम सुरेश कलमाडी और अभय चौटाला को आजीवन अध्यक्ष बनाने से जुड़े IOA के प्रस्ताव पर हैरान हैं. ये पूरी तरह अस्वीकार है, क्योंकि दोनों गंभीर भ्रष्टाचार और आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे हैं.''
कलमाडी जेल में सज़ा काट चुके हैं
कलमाडी राष्ट्रमंडल खेलों में भ्रष्टाचार के आरोपों में जेल की सज़ा काट चुके हैं, जबकि चौटाला पर चार्जशीट का सामना कर रहे लोगों को चुनाव में टिकट देने का आरोप लगा था. दोनों नेता पहले भी IOA में अध्यक्ष पद संभाल चुके हैं, लेकिन दोनों को आरोपों की वजह से पद छोड़ना पड़ा था. अब उनकी ताज़ा नियुक्ति पर जंग छिड़ गई है.
भारतीय खेल संघों के उच्च पदों पर नेताओं और पूर्व नौकरशाहों की नियुक्ति कोई नई बात नहीं है. इन नेताओं में से कुछ के दामन पर दाग़ भी मिल जाएंगे. ये आरोप काफ़ी पहले से लगते रहे हैं कि इन खेल संघों में खिलाड़ियों से ज़्यादा तरज़ीह नेताओं को दी जाती है.
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दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री के साथ कलमाडी
उन चमकते सितारों की कहानी जिन्हें दुनिया अभी और देखना और सुनना चाहती थी.
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आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे भारत में सिर्फ़ एक खेल संघ है, जिसकी कमान पूर्व ओलिंपयन और नेशनल एथलीट के हाथों में है. एडवाइज़री इनगवर्न रिसर्च सर्विसेज़ की हालिया रिपोर्ट Governance of Sports in India: 2016 के मुताबिक भारत में 27 में से महज़ एक स्पोर्ट एसोसिएशन की कमान पूर्व खिलाड़ी के हाथ में है.
सिर्फ़ एक संघ में पूर्व खिलाड़ी अध्यक्ष
और ये खुशक़िस्मती मिली है एथलेटिक्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया को, जिसके प्रेसिडेंट एदिल जे सुमारीवाला बतौर एथेलीट 11 बार 100 मीटर स्प्रिंट में नेशनल टाइटल जीत चुके हैं. साल 2012 से एथलेटिक्स फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया की कमान संभाल रहे सुमारीवाला पूर्व ओलंपियन और एशिया पदक विजेता भी हैं.
उन्हें छोड़ दें, तो आपको भारतीय खेल संघों में पूर्व खिलाड़ी चिराग़ लेकर तलाशने पड़ेंगे. इनगवर्न रिसर्च की रिपोर्ट की मानें तो देश के सिर्फ़ नौ खेल संघ ऐसे हैं, जहां आपको वर्तमान और पूर्व खिलाड़ी खेल संघों की गवर्निंग बॉडी में मिलेंगे.
रिपोर्ट के अनुसार गवर्निंग बॉडी में खिलाड़ियों को जगह देने वाले खेल संघों में एथलेटिक्स फ़ेडरेशन, आर्चरी एसोसिएशन, बैडमिंटन एसोसिएशन, हॉकी इंडिया, नेशनल राइफ़ल एसोसिएशन, टेबल टेनिस एसोसिएशन, रेसलिंग फ़ेडरेशन, बास्केटबॉल फ़ेडरेशन और इंडियन गोल्फ़ यूनियन शामिल है.
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केपीएस गिल के साथ सुरेश कलमाडी (मध्य)
खेल संघों में कब तय होगा कार्यकाल
12 खेल संघों ने अपने अध्यक्ष और सदस्यों और 11 खेल संघों ने गवर्निंग बॉडी के सदस्यों के रोटेशन, कार्यकाल और उनकी अधिकतम सीमा के बारे में कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की है. ज़ाहिर है, ऐसे में ये सवाल भी उठ सकता है कि क्या ये खेल संघ कार्यकाल तय करने मे मामले में भी मनमर्ज़ी चला रहे हैं.
गवर्निंग बॉडी के सदस्यों को चार साल के बाद दोबारा चुना जाता है, लेकिन सदस्यों के लिए रिटायरमेंट की कोई अधिकतम कार्यकाल सीमा निश्चित नहीं है. ऐसे में वो जीवित रहने तक वो कितनी बार भी खेल संघों में पहुंच सकते हैं. IOA में कुल 38 खेल संघ सदस्य हैं और इनमें से महज़ छह ने अपने अध्यक्षों का कार्यकाल तय कर रखा है.
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नेताओं के हाथ कब तक रहेंगे खेल संघ?
ये बहस लंबे वक़्त से जारी है कि क्या खेल संघों में नेताओं के लिए कोई जगह होनी चाहिए? पूर्व कानून मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली कह चुके हैं कि वो नेताओं को खेल संघों से दूर रखने के लिए क़ानून लाने वाले थे, लेकिन उन पर यथास्थिति ना बदलने को लेकर दबाव डाला गया.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से जस्टिस आर एम लोढा की अगुवाई में गठित समिति भी सिफ़ारिश कर चुकी है कि सरकारी नौकरों और मंत्रियों को क्रिकेट बोर्ड से दूर रखा जाए. हालांकि बोर्ड अध्यक्ष और भाजपा नेता अनुराग ठाकुर कह चुके हैं कि नेताओं के पास देश में अलग-अलग खेल संघों की कमान संभालने की पूरी क्षमता है.
क्या खेल संघों में पूर्व खिलाड़ियों के बजाय नेताओं की मौजूदगी खेलों में भारत के ख़राब प्रदर्शन की एक वजह को सकती है, इस सवाल को लेकर ख़ूब बहस की जा सकती है.