न्यूज़ीलैंड भारत के ख़िलाफ़ पलटवार कर पाएगा

विराट कोहली की कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने न्यूज़ीलैंड को नेपियर में खेले गए पहले एक दिवसीय अंतराष्ट्रीय क्रिकेट मैच में आठ विकेट से मात दी.
इस जीत से अब तो न्यूज़ीलैंड की भी आंखें खुल गई होंगी.
यह जीत भारत के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि इसके लिए उसे 10 साल इंतज़ार करना पड़ा.
इससे पहले भारत ने न्यूज़ीलैंड को उसी की ज़मीन पर साल 2009 में हैमिल्टन में हराया था.
इस दमदार जीत से कई सवालों के जवाब भी मिल गए.
सबसे बड़ी बात कि भारत ने न्यूज़ीलैंड के उस दबदबे को समाप्त किया जिसके दम पर न्यूज़ीलैंड अपनी ज़मीन पर भारत के ख़िलाफ अजेय सी साबित होती थी.
हालांकि अभी पांच मैचों की सिरीज़ का पहला ही मैच समाप्त हुआ है और न्यूज़ीलैंड पूरी तरह पलटवार करने को कोशिश करेगा.
दमदार गेंदबाज़ी
दोनो टीमों के बीच दूसरा मैच शनिवार को बे ओवल में खेला जाएगा.
पहले मैच में भारतीय गेंदबाज़ों ने दिखा दिया कि न्यूज़ीलैंड के विकेट पर वह भी शानदार गेंदबाज़ी करने में सक्षम है.
ऐसा पहली बार देखने को मिला जब भारतीय गेंदबाज़ों ने न्यूज़ीलैंड में पहले ही मैच में अपनी लय पकड़ ली.
इसकी वजह लगातार क्रिकेट खेलना भी हो सकती है.
वरना तो तेज़ विकेट मिलते ही भारतीय गेंदबाज़ गेंद को पटकने को कोशिश करने लगते थे. इससे विरोधी बल्लेबाज़ों का काम आसान हो जाता था.
भुवनेश्वर कुमार की गुड लेंथ पर पिच होती गेंदों पर ड्राइव लगाना आसान नहीं होता. मोहम्मद शमी इन दिनों अपनी शानदार फिटनेस के कारण पूरी लय में है.
अब तो शमी के एकदिवसीय क्रिकेट में 100 विकेट भी पूरे हो गए हैं.
मेज़बानों की कमज़ोर बल्लेबाज़ी
नेपियर में जब न्यूज़ीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने का फ़ैसला किया तो शायद ही किसी ने सोचा था कि उनकी पूरी टीम निर्धारित 50 ओवर भी नहीं खेल सकेगी.
मोहम्मद शमी और कुलदीप यादव के अलावा युजवेंद्र चहल की घातक गेंदबाज़ी के सामने पूरी न्यूज़ीलैंड महज़ 38 ओवर में केवल 157 रनों पर ढ़ेर हो गई.
ख़ुद कप्तान केन विलियम्सन ही जैसे-तैसे 64 रन बना सके. बाकि कोई भी बल्लेबाज़ शमी की स्विंग और कुलदीप यादव और चहल की घूमती गेंदों का सामना नहीं कर सका.
कुलदीप यादव ने चार, शमी ने तीन और चहल ने दो विकेट हासिल किए.
दरअसल न्यूज़ीलैंड के सलामी बल्लेबाज़ मार्टिन गप्टिल और कॉलिन मुनरो सस्ते में निपट गए. अगर किसी टीम को शुरूआत अच्छी ना मिले तो मध्यम क्रम पर दबाव आता है.
इसके बाद विलियम्सन ने तो एक छोर संभाला लेकिन टॉम लैथम, हेनरी निकोलस और मिचेल सैंटनर का स्पिनरों को हल्के में लेना न्यूज़ीलैंड को भारी पड़ा.
सलामी जोड़ी से अच्छी शुरुआत
बाद में मोहम्मद शमी ने स्वीकर किया कि कप्तान विराट कोहली का उन पर किया गया भरोसा और टीम का सहयोग अब रंग ला रहा है.
कुलदीप यादव ने भी माना कि युजवेंद्र चहल के साथ मिलकर वह ख़तरनाक साबित होते हैं. दरअसल दोनों ही स्पिनरों की गेंदबाज़ी में बेहद विविधता है.
हवा में टर्न होती गेंदों को पिच होने के बाद खेलना जितना ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल था उतना ही न्यूज़ीलैंड के बल्लेबाज़ों के लिए भी हुआ.
दूसरी सबसे बड़ी बात कि अगर सलामी जोड़ी शिखर धवन और रोहित शर्मा में से अगर एक भी जम जाए तो भारत का काम कितना आसान हो जाता है यह तो कई बार साबित हो चुका है. नेपियर में भी ऐसा ही हुआ.
शिखर धवन के नाबाद 75 रनों ने भारत को बिना किसी ख़तरे के जीत दिला दी.
शिखर धवन ने इससे पहले पिछले साल दुबई में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 114 रनों की बड़ी शतकीय पारी खेली थी.
उसके बाद 10वें मैच में उनके बल्ले से यह अर्धशतक निकला है.
उनको लेकर टीम इंडिया कितनी चिंतित थी. इसका पता इससे चलता है कि जब सूरज की किरणों की वजह से थोड़ी देर के लिए खेल रुका तो टीम प्रबंधन ने उनसे बात की, कि आपको नाबाद वापस आना है. अपना विकेट ऐसे ही नही गँवाना है.
वैसे पहले मैच में मिली करारी हार से तमतमाए बिना न्यूज़ीलैंड के कप्तान केन विलियम्सन ने कहा कि टीम में बहुत बदलाव की ज़रूरत नहीं है.
विकेट ठीक था लेकिन स्पिनर्स के ख़िलाफ बल्लेबाज़ नहीं खेल सके और स्पिन के ख़िलाफ़ उचित अभ्यास ना करना उन्हें भारी पड़ा.
वहीं भारत के कप्तान विराट कोहली ने भी हैरानी जताते हुए माना कि वह सोच रहे थे कि शायद स्कोर 300 से अधिक बनेगा लेकिन गेंदबाज़ो ने शानदार काम किया.
अब यह देखना भी दिलचस्प होगा कि दूसरे मुक़ाबले में न्यूज़ीलैंड किस अंदाज़ में भारतीय टीम का सामना करती है.
पहले मैच में तो भारत ने उसे खेल के तीनों क्षेत्र में बुरी तरह मात दी. पूरे मैच में भारत का एकतरफा नियंत्रण रहा .
यहां तक कि दर्शकों में भी 'जीतेगा-भई-जीतेगा इंडिया जीतेगा' जैसे नारे लगते रहे.
पिच पर घास नहीं
विकेट के पीछे महेंद्र सिंह धोनी भी बेहद फुर्तिले साबित हुए. उन्होंने फर्ग्यूसन को कुलदीप यादव की गेंद पर पलक झपकते ही स्टम्प किया.
इसी बीच न्यूज़ीलैंड को इस बात से थोड़ी राहत मिल सकती है कि विराट कोहली इस एकदिवसीय सिरीज़ के आखिरी दो और इसके बाद होने वाली टी-20 सिरीज़ में आराम करेंगे.
कुछ भी हो अब इस सिरीज़ में सारा दबाव न्यूज़ीलैंड पर आ गया है.
मार्टिन गप्टिल, कॉलिन मुनरो, रॉस टेलर और मिचेल सैंटनर को जमकर खेलना होगा. गेंदबाज़ी में भी टिम साउदी और ट्रेंट बोल्ट को शुरुआती झटके देने होंगे.
आश्चर्य की बात है कि नेपियर में न्यूज़ीलैंड का आउटफील्ड तो बेहद हरा-भरा नज़र आया लेकिन विकेट पर घास नहीं थी.
न्यूज़ीलैंड के विकेट को लेकर एक बार तो पूर्व सलामी बल्लेबाज़ नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा था कि यहां तो गाय भी घास चर सकती है.
जो भी हो ग्रीन टॉप विकेट का ना मिलना भारत के लिए लाभदायक ही है.
दूसरे मैच में जो भी टीम जीतेगाी वह चैन की सांस लेगी. ऐसे में मुक़ाबला बेहद दिलचस्प होने की उम्मीद है.
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