BBC ISWOTY- यशस्विनी सिंह देसवाल: निशानेबाज़ जिनका अगला निशाना है टोक्यो

यशस्विनी देसवाल

इमेज स्रोत, Yashaswini Deswal

ब्राज़ील के रियो डे जेनेरियो में 2019 में आईएसएसएफ़ विश्व चैंपियनशिप में यशस्विनी सिंह देसवाल ने 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था. अब उनकी निगाहें 2021 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक पर हैं.

पूर्व जूनियर विश्व चैंपियन देसवाल भारत और विश्व भर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी हैं और उनकी कामयाबी से हर कोई परिचित है.

2019 में आईएसएसएफ़ विश्व चैंपियनशिप में उनके शीर्ष प्रदर्शन ने उन्हें टोक्यो का टिकट दिलाया था.

शुरुआती प्रेरणा

देसवाल में निशानेबाज़ी के लिए रुचि उनके पिता एसएस देसवाल की वजह से जागी. उनके पिता इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं.

वो उन्हें 2010 में दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में निशानेबाज़ी की प्रतियोगिता देखने के लिए लेकर गए थे.

इसके बाद यशस्विनी ने अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज़ और पूर्व पुलिस अफ़सर टीएस ढिल्लन के नेतृत्व में निशानेबाज़ी का अभ्यास शुरू कर दिया. निशानेबाज़ी की इस यात्रा में उनके परिवार ने अहम भूमिका निभाते हुए उनके लिए एक शूटिंग रेंज बनवाया.

यशस्विनी देसवाल

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यशस्विनी ने शुरुआत में ही बड़े क़दम बढ़ाते हुए 2014 में हुई 58वीं राष्ट्रीय निशानेबाज़ी प्रतियोगिता में विभिन्न स्पर्धाओं में तीन स्वर्ण पदक जीते.

इसके बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीतती रहीं. इस दौरान उन्होंने 2017 में जूनियर विश्व चैंपियनशिप भी जीती.

आने वाली चुनौतियां

यशस्विनी देसवाल को उनके परिवार का भारी समर्थन मिला और उसके कारण उनकी ट्रेनिंग और लॉजिस्टिक्स की ज़रूरतें पूरी हो पाईं. वो कहती हैं कि भारतीय निशानेबाज़ लगातार साज़ो-सामान और ट्रेनिंग के मूलभूत ढांचे की भारी कमी से जूझते रहते हैं.

यशस्विनी के लिए अपने खेल और पढ़ाई के बीच संतुलन बनाना भी बड़ी चुनौती रही. उनको अपनी प्रैक्टिस, पढ़ाई और परीक्षाओं के लिए अलग-अलग समय निकालना होता था.

वो कहती हैं कि कई प्रतियोगिताओं में वो अपनी किताबें अक्सर अपने साथ रखती थीं. वो कहती हैं कि यह सिर्फ़ उनके लिए ही नहीं बल्कि उनके परिजनों के लिए भी बहुत बड़ा चुनौतीपूर्ण था क्योंकि उन्हें भी देश और विदेश की विभिन्न प्रतियोगिताओं में उन्हें उनके साथ जाना होता था.

शूटिंग रेंज में देसवाल लगातार अपना बेहतर प्रदर्शन दिखाती रहती हैं. जर्मनी में 2017 में उन्होंने आईएसएसएफ़ जूनियर विश्व चैंपियनशिप में विश्व रिकॉर्ड की बराबरी करते हुए स्वर्ण पदक जीता था जिसके बाद वो एकाएक चर्चा में आ गईं.

हालांकि, ब्राज़ील में 2019 में आईएसएसएफ़ विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतना अब तक का उनका सबसे बड़ा पल है. इसी के कारण उन्होंने टोक्यो ओलंपिक की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में जगह बनाई.

सपने जिनको पूरा करना है

यशस्विनी का मानना है कि अगर महिलाओं को समर्थन दिया जाए तो वो बहुत कुछ कर सकती हैं.

वो कहती हैं कि वो अपने परिवार की बड़ी आभारी हैं जो उनके हर क़दम के साथ खड़ा रहा.

उनका कहना है कि भारत जैसे देश में महिलाओं को परिवार का ज़रूरी समर्थन नहीं मिलता है. वो कहती हैं कि अधिक से अधिक महिलाओं को खेलों में लाने के लिए प्रेरित करने के लिए लोगों की मानसिकता में बदलाव लाना होगा.

यशस्विनी यह भी कहती हैं कि देश को खेलों के ऐसे मूलभूत ढांचे की ज़रूरत है जो महिला खिलाड़ियों को अधिक प्रोत्साहन दे और वह भी ख़ासकर के शुरुआती दौर में.

(यह लेख बीबीसी को ईमेल के ज़रिए यशस्विनी सिंह के भेजे जवाबों पर आधारित है.)

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