टेंशन में रहते हुए काम करना बेहद नुक़सानदायक

  • एलिना डिज़िक
  • बीबीसी कैपिटल
तनाव में रहते हुए काम

तेज़ी से तरक़्क़ी करती दुनिया में तनाव भी लगातार बढ़ रहा है. ख़ासतौर से काम-काज में.

ब्रिटेन के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि साल 2015 में वहां क़रीब पांच लाख लोगों ने दफ़्तर में भयानक तनाव की शिकायत की, जो कि तनाव के शिकार लोगों का 37 फ़ीसदी है. बाक़ी दुनिया का भी यही हाल है. भारत में भी तेज़ी से बदलते वर्क कल्चर के चलते दफ़्तर में तनाव बढ़ रहा है.

लेकिन दिक़्क़त ये है कि हम अभी इस तनाव को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं.

जानकार कहते हैं कि यूं तो कुछ हद तक तनाव आपके काम के लिए अच्छा होता है. ख़ासतौर से उन दिनों में जब काम का बोझ हो और वक़्त पर टारगेट पूरा करना हो. ऐसे हालात में इंसान तनाव में कई बार बेहतर काम करता है.

लेकिन, एक वक़्त के बाद इंसान का दिल-दिमाग़ तनाव के आगे घुटने टेकने लगता है. ये स्थिति नुक़सानदेह हो सकती है.

मिसाल के तौर पर अमरीका की जेनिफ़र वेल्कर को ही लीजिए. वो अस्पताल में बच्चों के वार्ड में नर्स थीं. अक्सर बीमार बच्चों से पाला पड़ता था. कई बार उनकी मौत भी हो जाती थी.

उन्होंने रोते-बिलखते लोगों को देखा, मरते हुए बच्चों को देखा. इसलिए उन्हें तनाव में काम करने की आदत हो गई थी. कई बार तो जेनिफर ने महसूस किया कि तनाव के माहौल में बेहतर काम कर पाती थीं.

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रोज़ दुखभरे लम्हों से गुज़रते हुए एक दिन उनके दिमाग़ ने जवाब दे दिया. वो न तो तनाव बर्दाश्त कर पा रही थीं और न ही उसकी अनदेखी कर पा रही थीं. आख़िर में जेनिफर ने नर्स की नौकरी छोड़ दी और ज्वेलरी का अपना छोटा सा कारोबार शुरू किया.

जानकार कहते हैं कि ये पता लगाना मुश्किल होता है कि कब तनाव आपकी बर्दाश्त की हद के बाहर हो गया. दिमाग़ी और इमोशनल तनाव हर इंसान की ज़िंदगी में आते हैं. लेकिन इसकी वजह से थकान हो और आप पूरी तरह से घुटने टेक दें, ऐसे हालात नुक़सानदेह हो सकते हैं.

इटली में लोगों को तनाव से उबरने में मदद करने वाले स्टेफानो पेटी कहते हैं कि हर बार तनाव से नुक़सान को आप नाप नहीं सकते. मगर इससे बहुत नुक़सान होता है.

पेटी कहते हैं कि भयंकर तनाव से आपके करियर पर बुरा असर पड़ता है. कई बार लोग तनाव में काम करने के इतने आदी हो जाते हैं कि उन्हें पता ही नहीं चलता कि कब हालात हद से बाहर चले गए.

पेटी के मुताबिक़, अक्सर लोगों को इसका पता नहीं चलता कि अब तनाव उस हद तक पहुंच चुका है, जब उनके लिए बर्दाश्त के बाहर होगा.

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ऐसे में सवाल ये है कि पता कैसे चले कि तनाव हद से आगे जा रहा है?

जानकार कहते हैं कि पहले के तजुर्बे इसमें आपकी काफ़ी मदद कर सकते हैं.

अमरीका के रॉन बॉनस्टेटर ऐसे लोगों की मदद के लिए एक कंपनी चलाते हैं. वो बताते हैं कि तनाव के कई सुबूत आपको अपने अंदर मिलेंगे. बार-बार भावुक होना, फ़ैसले लेने में दिक़्क़त, बातें भूल जाना और थकान इसके लक्षण हैं.

अगर आप बार-बार ऐसी दिक़्क़तों का सामना कर रहे हैं, तो आप तनाव से जूझ रहे हैं.

मगर अच्छी बात ये है कि नाक़ाबिले-बर्दाश्त तनाव के मुहाने पर पहुंचकर भी आप वापसी कर सकते हैं. इसके लिए आपको अपना नज़रिया बदलना होगा. साथ ही काम का तरीक़ा और माहौल बदलने से भी आपको मदद मिल सकती है.

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तनाव असल में ऐसा तजुर्बा है, जिसमें आपको लगता है कि आपको कोई काम करना है, मगर आपके अंदर उसके लिए ताक़त और संसाधन नहीं हैं.

ऐसे में कई बार एक्सपर्ट आपको भावुकता के माहौल से उबरने में मदद कर सकते हैं. कई बार लोग कुछ बातों को दिल-दिमाग़ पर सवार कर लेते हैं. इससे बचने की ज़रूरत है. फिर काम के माहौल में थोड़ा सा बदलाव भी आपके तनाव को काफ़ी हद तक कम कर सकता है.

सबसे ज़रूरी है कि आप तनाव के हालात को पहचानें. उसकी वजह को जानें और उससे बचने के तरीक़ों पर अमल करें.

(अंग्रेजी में मूल लेख पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, जो बीबीसी कैपिटल पर उपलब्ध है.)

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