क्या सेक्स वर्क एक आम पेशा हो सकता है?
- ब्रायन लुफ़किन
- बीबीसी कैपिटल

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एम्सटर्डम का रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट घुमावदार गलियों और घरों की खिड़कियों पर खड़ी होकर ग्राहकों को लुभाती महिलाओं के लिए मशहूर है.
यह नीदरलैंड में पर्यटन और सांस्कृतिक पहचान का केंद्र है, जहां पिछले कई दशकों से सुरक्षित और क़ानूनी रूप से वैध सेक्स की इजाज़त है. लेकिन जल्द ही ये सब बंद हो सकता है.
नीदरलैंड की संसद में सेक्स वर्क की क़ानूनी वैधता पर बहस की तैयारी चल रही है.
दक्षिणपंथी ईसाई और वामपंथी महिलावादी, दोनों सेक्स वर्क का विरोध कर रहे हैं.
उधर, रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट की यौनकर्मियों पर काम करने के अपने अधिकार को बचाने का दबाव है.
क्या यह बहस पेड सेक्स क़ानून में बदलाव ला सकती है? इससे इस पेशे से जुड़े लोगों के रोज़गार और उनकी ज़िंदगी पर कैसा असर पड़ेगा?
'मैं अनमोल हूं'
'क्या होता अगर वो आपकी बहन होती?' ये लाइन नीदरलैंड में सोशल मीडिया पर चल रहे अभियान का हिस्सा है.
इस अभियान का नाम है- 'मैं अनमोल हूं' और इसके तहत पेड सेक्स को अपराध बनाने की मांग हो रही है.
सारा लूस इस अभियान के साथ काम करती हैं. उनका कहना है कि पिछले सात साल में 46 हज़ार लोगों के दस्तख़त जुटाए गए, तब जाकर संसद में बहस होने वाली है.
इस अभियान का मक़सद मौजूदा क़ानून को बदलना है ताकि 'नॉर्डिक मॉडल' को अपनाया जा सके.
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कामकाजी महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा कम करने के लिए 'नॉर्डिक मॉडल' के तहत सेक्स वर्कर को किराये पर लेने वाले मर्दों पर जुर्माना लगाया जा सकता है.
फ़िलहाल नीदरलैंड में दो वयस्कों के बीच रज़ामंदी से पेड सेक्स वैध है. यह क़ानून 1971 से लागू है.
लूस को लगता है कि #MeToo के ज़माने में यह क़ानून पुराना पड़ चुका है. रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट में चाहे कितनी भी यौन आज़ादी हो, यह आज के ज़माने के हिसाब से नहीं है.


सेक्स वर्कर क्या सोचते हैं?
रोमानिया की एक सेक्स वर्कर (जो चेरी के छद्मनाम से जानी जाती हैं) का कहना है कि वह किराया चुकाने और कुछ पैसे कमाने के लिए यह काम करती हैं.
वो एक दशक तक रेड लाइट डिस्ट्रिक्ट में काम कर रही हैं.
उन्होंने बीबीसी की एना हॉलिगन से कहा, "यदि यह याचिका (संसद में) मंज़ूर कर ली जाती है तो यह मुझे यहां से बाहर निकालने के लिए अच्छा क़दम होगा."

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फ़ॉक्सी नाम से जानी जाने वाली दूसरी सेक्स वर्कर को लगता है कि इससे उनका पेशा और वर्जित हो जाएगा. उनकी निगरानी बढ़ जाएगी और लोग उनको कम स्वीकार करेंगे.
वो कहती हैं, "हमें भूमिगत होना पड़ेगा ताकि पुलिस और हेल्थ सर्विस के लोग हमें आसानी से न पकड़ पाएं."
फ़ॉक्सी का कहना है कि वो अपनी मर्ज़ी से यह काम करती है और मानव तस्करी जैसी समस्याएं दूसरे क्षेत्रों में भी हैं.
तो क्या महिलाओं को अपने तरीके़ से पैसे कमाने की आज़ादी देने के लिए वैध सेक्स वर्क जारी रहेगी या यह वास्तव में दमनकारी है?


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वेश्यावृत्ति विरोधी क़ानून कितने कारगर?
वेश्यावृत्ति रोकने वाले क़ानून महिलाओं की कितनी हिफ़ाज़त करते हैं और स्वास्थ्य सेवा जैसे लाभों तक उनकी कितनी पहुंच बनाते हैं, यह सभी देशों में एक समान नहीं है.
विशेषज्ञों का कहना है कि ग़रीब देशों में वेश्यावृत्ति निरोधी क़ानून का सहारा लेकर अक्सर महिला सेक्स वर्करों को ही प्रताड़ित किया जाता है.
इसके अलावा, ये क़ानून बीमारियां फैलने से रोकने, मानव तस्करी या महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाली हिंसा को रोकने में हमेशा कारगर नहीं रहे हैं.
किंग्स कॉलेज लंदन में क़ानून और सामाजिक न्याय की प्रोफेसर प्रभा कोटिश्वरन कहती हैं, "वेश्यावृत्ति निरोधी क़ानून से सेक्स वर्कर्स के अधिकारों का हनन किया जाता है."
वो कहती हैं, "क़ानून से बचने के लिए उनको पुलिसवालों को रिश्वत देनी पड़ती है- या तो यौन रिश्वत या आर्थिक रिश्वत. मतलब यह कि रिश्वत में दिए गए पैसे की भरपाई के लिए उनको ज़्यादा सेक्स वर्क करना पड़ेगा."
अभियान चलाने वाले लोग, जो ख़ुद को उन्मूलनवादी कहते हैं, पुरुष ग्राहकों पर जुर्माना लगाने की मांग करते हैं. लेकिन दूसरे लोगों का मानना है कि सबसे ज़्यादा ध्यान महिलाओं को सशक्त बनाने पर होना चाहिए.
ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीक़ा क्या है? उन्मूलनवादियों का कहना है कि वेश्यावृत्ति को 100 फ़ीसदी वैध बना दिया जाए.


वैध बनाने के फ़ायदे
अमरीका के नेवादा की सेक्स वर्कर क्रिस्टिना परेरा सेक्स के लिए भुगतान को सही बताती हैं.
वह कहती हैं, "यह उन गिने-चुने पेशों में से एक है जहां महिलाएं पुरुषों से ज़्यादा कमाती हैं. महिलावादी इसे छीनना चाहते हैं जो कि मूर्खतापूर्ण है."
परेरा कभी-कभी सेक्स वर्क करती हैं. वो डॉक्टरेट कर रही हैं और उनकी रिसर्च सेक्स इंडस्ट्री पर ही है.
वो सेक्स वर्क को अपराध बनाने के ख़िलाफ हैं. उनका कहना है कि इस काम से उन्होंने अच्छी ज़िंदगी बनाई है.
परेरा कहती हैं "मैंने पर्याप्त पैसे कमाए हैं. मैं पीएचडी पूरी कर सकती हूं और मुझे काम नहीं करना पड़ता. पेशा बंद होने से सैकड़ों-हज़ारों लोग पेशे से बाहर हो जाएंगे."
नेवादा में कुछ जगहों पर सेक्स वर्क वैध है. परेरा कहती हैं, "वेश्याघरों के बारे में अच्छी बात यह है कि चूंकि यह वैध है इसलिए वहां आप सुरक्षित हैं. यदि कोई ग्राहक काबू से बाहर हो जाए तो आप पैनिक बटन दबा सकते हैं."


वैध पेशे में ज़्यादा हिंसा
पत्रकार और अभियान की सदस्य जूली बिंदल का तर्क है कि जिन देशों में सेक्स वर्क वैध है, वहां दलालों और ग्राहकों के हाथों ज़्यादा सेक्स वर्कर्स जाती हैं.
उनका कहना है कि पत्रकारिता में काम करते हुए उन्हें कभी पैनिक बटन की ज़रूरत नहीं पड़ी.
बिंदल 'नॉर्डिक मॉडल' के पक्ष में हैं. यह मॉडल नॉर्डिक देशों से बाहर फैल चुका है.
यह मॉडल सेक्स वर्क को अपराध नहीं मानता, लेकिन पैसे देकर सेक्स करने वाले ग्राहकों को अपराधी समझता है.
बिंदल को लगता है कि सेक्स वर्क अब भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं है. इसे दूसरे किसी भी नियमित करियर के साथ न जोड़ा जा सकता है, न इस बारे में उस तरह से बात की जा सकती है.
यह समस्या तब तक रहेगी जब तक सेक्स वर्कर्स को उपभोग की वस्तु समझा जाता रहेगा.
बिंदल जर्मनी के मेगा ब्रॉथल की मिसाल देती हैं.
वो कहती हैं, "वहां मर्दों के लिए विज्ञापन होते हैं कि वे जितनी चाहे उतनी महिलाओं के साथ रह सकते हैं और साथ में बर्गर और बीयर ले सकते हैं. यह उपभोक्ता संस्कृति का हिस्सा है. वे (सेक्स वर्कर्स) बर्गर में मांस के टुकड़ों की तरह हैं."


लैंगिक ग़ैर-बराबरी
बिंदल का मानना है कि वेश्यावृत्ति की जड़ें लैंगिक गैर-बराबरी में है. इसीलिए वह ऐसा मॉडल चाहती हैं जिसमें ख़तरे की आशंका होने पर सेक्स वर्कर फ़ोन उठाकर पुलिस बुला सकें.

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लेकिन परेरा कहती हैं कि उनके साथ कभी ऐसा नहीं हुआ, न ही किसी पुरुष ने वेश्यालय के नियम तोड़े (जैसे- कंडोम पहनने से इंकार करना).
परेरा एमनेस्टी इंटरनेशनल और मेडिकल जर्नल द लैंसेट के आंकड़ों की तरफ़ संकेत करती हैं. दोनों ही इस पेशे को अपराधीकरण से मुक्त करने का समर्थन करते हैं.
मिसाल के लिए, 2003 से 2008 के बीच अमरीका के रोड आइलैंड प्रांत में सेक्स वर्क को वैध कर देने के बाद महिला सेक्स वर्करों के ख़िलाफ़ हिंसा में 30 फ़ीसदी की गिरावट आई.
परेरा कहती हैं, "सेक्स वर्करों की तादाद में कोई इज़ाफ़ा नहीं हुआ. इस पेशे में ज़्यादा महिलाओं के आ जाने का मिथक ग़लत है."
पेशा वैध होने पर वो सुरक्षित सेक्स और वेश्यालयों में बेहतर स्थितियों पर बात कर पाईं. उनका सशक्तीकरण हुआ, अधिकारों के हनन पर वे मुक़दमा भी कर सकती थीं.


नॉर्डिक मॉडल का क्या?
परेरा कहती हैं, "यह झूठी धारणा पर आधारित है कि महिलाएं व्यावसायिक सेक्स के लिए कभी राज़ी नहीं होतीं और वे कभी इसका आनंद नहीं लेतीं. नॉर्डिक मॉडल पुरुषों को शिकारी मानता है, लेकिन ज़्यादातर सेक्स वर्करों के लिए यह हक़ीक़त नहीं है."
परेरा के मुताबिक नॉर्डिक मॉडल इस झूठी कट्टरपंथी महिलावादी सोच पर आधारित है कि हम अपने शरीर का अंदरूनी हिस्सा किराये पर चढ़ा रहे हैं. वो कहती हैं कि उन्मूलनवादी जिस तरह से बातें करते हैं, वह वेश्यालय में आने वाले ग्राहकों की तुलना में अधिक अपमानजनक है.
उधर उन्मूलनवादियों का तर्क है कि सेक्स वर्क के पहलुओं को अपराध बनाने, ग्राहकों को जिम्मेदार ठहराने से महिलाएं ज़्यादा सुरक्षित होती हैं और किसी कार्यस्थल में उनका सशक्तीकरण होता है.
नीदरलैंड की संसद में होने वाली चर्चा जैसे-जैसे करीब आ रही है, यह बहस गर्माती जा रही है.
परेरा की सलाह है कि उन्मूलनवादियों को ज़्यादा सेक्स वर्करों से बात करनी चाहिए, लेकिन बिंदल का कहना है कि परेरा का अनुभव ही सबका अनुभव नहीं है.
परेरा कहती हैं, "जब तक पुरुष हैं तब तक सेक्स की मांग होगी. वयस्क महिला अगर अपनी मर्ज़ी से ऐसा करती है तो यह ठीक है."
(यह बीबीसी कैपिटल पर छपे लेख का शब्दश: अनुवाद नहीं हैं. भारतीय पाठकों के लिए इसमें कुछ संदर्भ और प्रसंग जोड़े गए हैं. मूल लेख अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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