यहां रहनेवाले हर इंसान को क्यों ऑपरेशन करवाना पड़ता है
- रिचर्ड फ़िशर
- बीबीसी फ़्यूचर

दुनिया में किसी भी जगह रहने के लिए कुछ शर्तें होती हैं. कुछ क़ानूनी ज़िम्मेदारियों होती हैं. जैसे भारत में रहने के लिए हर भारतीय के पास आधार नंबर होना 'ज़रूरी' (मामला न्यायालय में) है. विदेशियों के पास यहां रहने के लिए अपने मुल्क का पासपोर्ट और भारत से वीज़ा मिलना ज़रूरी है.
लेकिन अंटार्कटिका में एक बस्ती ऐसी भी है जहां लंबे वक़्त के लिए रहना है तो अपनी अपेंडिक्स को ऑपरेशन कर के हटवाना ज़रूरी शर्त है.
अंटार्कटिका बेहद सर्द महाद्वीप है. यहां लोग कुछ महीनों के लिए ही रहते हैं. मगर, इस सर्द वीराने में भी इंसानों की कुछ बस्तियां आबाद हैं. ऐसी ही एक बस्ती है विलास लास एस्ट्रेलास.
ये अंटार्कटिका का वो इलाक़ा है जहां या तो रिसर्च के मक़सद से वैज्ञानिक रहते हैं, या फिर चिली की वायु सेना और थल सेना के जवान रहते हैं.
ज़्यादातर सैनिक यहां आते-जाते रहते हैं. लेकिन बहुत से वैज्ञानिक और सैनिक यहां लंबे समय से रह रहे हैं. वो यहां अपना परिवार भी साथ ले आए हैं. विलास लास एस्ट्रेलास की आबादी बमुश्किल सौ लोगों की होगी.
कैसी सुविधाएं?
हालांकि यहां किसी बड़े गांव या छोटे शहर जैसी सुविधाएं नहीं हैं. फिर भी ज़रूरत के मुताबिक़ जनरल स्टोर, बैंक, स्कूल, छोटा-सा पोस्ट ऑफ़िस और अस्पताल बना दिए गए हैं.
स्कूलों में बच्चों को बुनियादी तालीम तो मिल जाती है, लेकिन अस्पतालों में इलाज बहुत ही सतही मिलता है. अंटार्कटिका में एक बड़ा अस्पताल है, लेकिन वो विलास लास एस्ट्रेलास गांव से एक हज़ार किलोमीटर दूर है.
रास्ते भर बर्फ़ के पहाड़ों से होकर गुज़रना पड़ता है. ये बड़ा अस्पताल भी शहर के किसी मल्टी स्पेशियालिटी अस्पताल जैसा नहीं है. बेस के अस्पताल में चंद ही डॉक्टर हैं और वो भी माहिर सर्जन नहीं हैं. इसीलिए किसी भी तरह की इमरजेंसी से बचने के लिए लोगों को अपेंडिक्स का ऑपरेशन करवाना ज़रूरी होता है.

हवाई जहाज़ से आता है सामान
यहां के लोगों की ज़िंदगी जितनी अद्भुत है, उससे भी ज़्यादा अद्भुत है ये जगह. अलग-अलग दिशाएं बताने वाले निशानों को देखकर ही अंदाज़ा हो जाता है कि ये जगह घनी आबादी से कितनी दूर है.
मिसाल के लिए बीजिंग यहां से क़रीब 17,501 किलोमीटर दूर है. ज़रूरत का सामान यहां सेना के विशाल हवाई जहाज़ अमरीकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के बनाए मालवाहक विमान सी-130 हर्क्यूलिस से लाया जाता है. आसपास के इलाक़ों में चलने के लिए 4WD ट्रक और राफ़्टिंग बोट की ज़रूरत पड़ती है.
इस इलाक़े का औसत तापमान साल भर माइनस 2.3 सेल्सियस रहता है जो कि अंटार्कटिका के मुख्य इलाक़े के तापमान के मुक़ाबले काफ़ी गर्म है.
बर्फ़ की चट्टानों से लगी कुछ इमारतें भी हैं जिनके अंदर का तापमान बाहर के मुक़ाबले बेहतर होता है. बिल्डिंगों के अंदर सजावट भी बेहतर है. दीवारों पर कुछ ख़ास यादगार तस्वीरें लटकी दिख जाती हैं. इनमें एक तस्वीर मशहूर वैज्ञानिक स्टीफ़न हॉकिंग्स की भी लगी है.

सर्दियों की चुनौती
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सर्जियो क्यूबिलोस चिली के एयरफ़ोर्स बेस के कमांडर हैं. वो यहां क़रीब दो साल से अपनी पत्नी और बच्चे के साथ रह रहे हैं. हालांकि उनका परिवार कुछ दिन के लिए चिली लौट गया था, लेकिन ख़ुद सर्जियो दो साल से यहीं पर हैं.
अपने तजुर्बे के आधार पर वो कहते हैं कि यहां सर्दी का मौसम झेलना एक बड़ी चुनौती है क्योंकि सर्दी में तापमान माइनस 47 डिग्री तक पहुंच जाता है. ऐसे में कई-कई दिन घर में ही क़ैद रहना पड़ता है.
वो कहते हैं कि अब तो उनके परिवार को भी यहां का मौसम झेलने की आदत हो चुकी है. वो अब ना सिर्फ़ मौसम का मज़ा लेते हैं बल्कि अन्य सैनिकों के परिवारों के साथ हैलोवीन जैसे त्यौहार भी मनाते हैं.
परिवार के साथ रहने वालों को एक और बात का ख़्याल रखने की सलाह दी जाती है. ख़ासतौर से सैन्य बेस में रहने वालों को हिदायत दी जाती है कि उनकी पत्नी गर्भवती ना हो क्योंकि मेडिकल सुविधा के अभाव में कोई भी बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.
यहां पेंगुइन को इंसानों से ख़तरा नहीं है. वो बेख़ौफ़ घूमती हैं. लेकिन तापमान ज़्यादा गिरने पर मरती भी ख़ूब हैं. तापमान गिरने पर समुद्र में भी बर्फ़ जम जाती है.

सैन्य बेस से काफ़ी दूरी पर ऊंचाई वाले इलाक़े पर ट्रिनिटी नाम का एक रूसी चर्च है. बताया जाता है कि इसे रूस के एक रूढ़िवादी पादरी ने बनाया था.
विलास लास एस्ट्रेलास दुनिया का ऐसा हिस्सा है जहां किसी और ग्रह पर रहने का अनुभव किया जा सकता है. इसमें कोई शक नहीं कि यहां रहना एक चुनौती भरा काम है. लेकिन यहां रहने वालों को जिस तरह की ज़िंदगी का तजुर्बा होगा वो दुनिया के किसी और इंसान को नहीं हो सकता.
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