कोरोना वायरसः किसी सतह पर कितनी देर ज़िंदा रहता है ये विषाणु
- रिचर्ड ग्रे
- बीबीसी फ़्यूचर

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नए कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते इन दिनों दुनिया भर में बड़े पैमाने पर सैनिटाइज़ेशन का काम चल रहा है.
बाज़ारों में, सड़कों पर, घर की सोसाइटी में, यहां तक की एटीएम मशीन तक को सैनिटाइज़ किया जा रहा है.
जिन दफ़्तरों में अभी भी काम किया जा रहा है वहां कर्मचारियों के घुसने से पहले पूरे ऑफ़िस की अच्छे से साफ़-सफ़ाई हो रही है. कीटनाशक छिड़के जा रहे हैं.
क्योंकि, माना ये जा रहा है कि कोरोना वायरस किसी भी चीज़ की सतह पर मौजूद हो सकता है.
सांस के सिस्टम पर हमला करने वाले किसी भी तरह के वायरस की तरह कोविड-19 भी खांसने या छींकने पर मुंह से निकलने वाली छोटी-छोटी बूंदों से फैलता है.
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कीटाणुओं से मुक्ति
सिर्फ़ एक बार खांसने पर मुंह से क़रीब तीन हज़ार बूंदें निकलती हैं. ये छोटी-छोटी बूंदें आस-पास रखे सामान, कपड़ों वग़ैरह की सतह पर गिरती हैं.
और जो बूंदे बहुत ही ज़्यादा छोटी होती हैं, वो हवा में ही तैरती रहती हैं.
यहां तक कि अगर कोई शौचालय से आकर हाथ नहीं धोता है और किसी चीज़ को छू लेता है, तो वो उस वस्तु को संक्रमित कर देता है.
इसी तरह अगर कोविड-19 संक्रमित कोई व्यक्ति कहीं खांसता या छींकता है तो वो आस-पास का माहौल संक्रमित कर देता है.
इसीलिए, अमरीका सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन और WHO लगातार कहते रहे हैं कि अगर कोविड -19 को फैलने से रोकना है, तो आस-पास का वातावरण कीटाणु मुक्त बनाना ज़रूरी है.
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रिसर्च जारी है...
हालांकि अभी तक ये पता नहीं चल पाया है कि कितने लोग संक्रमित जगह छूने से कोरोना के शिकार हुए हैं.
अभी तक साफ़ तौर पर ये भी पता नहीं चल पाया है कि कोविड-19 का वायरस इंसान के शरीर के बाहर कितनी देर ज़िंदा रहता है.
कोरोना परिवार के अन्य वायरस जैसे सार्स (SARS) और मर्स (MERS) के वायरस मेटल, शीशा और प्लास्टिक पर 9 दिन तक ज़िंदा रहते हैं.
बशर्ते कि संक्रमित जगह को साफ़ ना किया जाए. कम तापमान में तो कई वायरस 28 दिन से ज़्यादा तक ज़िंदा रह सकते हैं.
SARS-CoV-2 किसी चीज़ की सतह पर कितनी देर ज़िंदा रह सकता है, इस पर अभी रिसर्च जारी है.
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हवा में तीन घंटे तक
और इस दिशा में अमरीका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ हेल्थ (NIH) की रिसर्चर नीलजे वान डोरमलेन और उनके साथी पहला टेस्ट कर भी चुके हैं.
इनकी रिसर्च के मुताबिक़ कोविड-19 वायरस खांसने के बाद हवा में तीन घंटे तक ज़िंदा रह सकता है.
जबकि खांसने पर मुंह से निकले 1 से 5 माइक्रोमीटर साइज़ के ड्रॉपलेट हवा में कई घंटों तक ज़िंदा रह सकते हैं.
NIH की रिसर्च के मुताबिक़ SARS-CoV-2 वायरस, गत्ते पर 24 घंटे तक ज़िंदा रहता है. जबकि प्लास्टिक और स्टील की सतह पर 2 से 3 दिन तक जिंदा रहता है.
रिसर्च तो ये भी कहती हैं कि ये वायरस प्लास्टिक या लेमिनेटेड हैंडल या किसी सख्त सतह पर ज़्यादा देर तक रह सकता है. जबकि तांबे की सतह पर ये वायरस चार घंटे में मर सकता है.
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कोरोना वायरस
रिसर्च ये भी कहती हैं कि 62-71 फ़ीसद अल्कोहल वाले सैनिटाइज़र से कोरोना के वायरस को मिनट भर में निष्क्रिय किया जा सकता है.
इसके लिए 0.5 फ़ीसद हाइड्रोजन परॉक्साइड ब्लीच या 0.1 फ़ीसद सोडिम हाइपोक्लोराइट वाली घरेलू ब्लीच भी इस काम के लिए इस्तेमाल की जा सकती है.
इसके अलावा नमी और तेज़ तापमान भी इसे ख़त्म करने में सहायक हो सकते हैं.
कुछ रिसर्च तो किसी भी सतह को कीटाणुरहित बनाने के लिए पराबैंगनी रोशनी का इस्तेमाल करने को भी कहती हैं लेकिन ये मानव की त्वचा के लिए घातक हैं.
कपड़ों की सतह तुरंत कीटाणुरहित बनाना थोड़ा मुश्किल है. वैसे अभी ये पता भी नहीं है कि कपड़ों पर ये वायरस कितनी देर ज़िंदा रहता है.
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आस-पास का वातावरण
रिसर्चरों का कहना है कि इंसान के शरीर में इस वायरस के जाने के बहुत से तरीक़े हो सकते हैं.
अभी रिसर्च के लिए ये वायरस नया है लिहाज़ा किसी भी बात पर आंख मूंद कर यक़ीन नहीं किया जा सकता. लेकिन एक बात पर तो किया ही जा सकता है.
नए कोरोना वायरस को हाथ और आस-पास के वातावरण को साफ़ रखकर ही हराया जा सकता है.
जब तक रिसर्च की कोई पुख़्ता रिपोर्ट नहीं आ जाती आप हाथों को साबुन से साफ़ रखिए और सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखिए.
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